'नहीं हुआ दरगाह आने वाले को कोरोना', अजमेर शरीफ सालाना उर्स के लिए पाबंदियां हटाने की मांग
अजमेर
राजस्थान के अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 810वें सालाना उर्स को लेकर शुक्रवार को दरगाह कमेटी के गरीब नवाज गेस्ट हाउस में दरगाह कमेटी की बैठक हुई। दरगाह कमेटी के सदर अमीन पठान ने बैठक के बाद पत्रकारों से कहा कि हमारी सरकार से मांग है कि उर्स को पूरी शान-ओ-शौकत के साथ होने दें और कोरोना पाबंदियों को हटाकर राहत दिलाएं। उन्होंने कहा कि चूंकि पूरे देश में परिवहन व्यवस्थाएं चालू है लिहाजा जायरीन स्वतः ही उर्स में शिरकत करने अजमेर आएगा। ऐसे में दरगाह कमेटी अथवा स्थानीय प्रशासन द्वारा उन्हें रोकना संभव न होगा।
दूसरी ओर दरगाह कमेटी और दरगाह से जुड़े लोगों ने जायरीनों से कम से कम संख्या में आने की अपील भी की। उन्होंने खासकर बुजुर्गों, बच्चों एवं महिलाओं को न आने के लिए भी कहा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बावजूद इसके हम अपील करते हैं कि कम से कम लोग शिरकत करें और केंद्र व राज्य सरकार के कोरोना नियमों एवं प्रोटोकॉल का पालन करें। अंजुमन सदर फखरे मोईनी ने भी उर्स में आने वाले जायरीनों को रोक पाना असंभव बताते हुए कहा कि सरकार ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स को पूरे शान-ओ-शौकत के साथ होने दें। उर्स जिस तरह होता आया है वैसा ही होगा। धार्मिक रस्में भी होंगी। हम जायरीनों से कम से कम अजमेर आने की अपील करते हैं।
'दरगाह आया जायरीन कभी संक्रमित नहीं हुआ'
अंजुमन यादगार सचिव हमीदुल हक चिश्ती ने भी कोरोना नियमों के तहत उर्स को भरने और पाबंदियों को हटाने की मांग की। दरगाह दीवान के प्रतिनिधि उनके पुत्र नसीरुद्दीन चिश्ती ने भी उर्स को परंपरागत तरीके से होने देने की सरकार से अपील करते हुए पाबंदियां हटाने की मांग की। कमोबेश बैठक में उपस्थित सभी सदस्यों ने उर्स को भरने देने पर सहमति जताई और दलील दी कि कोरोना काल में दरगाह आया जायरीन कभी संक्रमित नहीं हुआ। यहां की दुआ ही दवा है और इस बात की जानकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी वीडियो कांफ्रेंसिंग में दी जा चुकी है।
नाइट कर्फ्यू के बीच कैसे होंगी रस्में?
गौरतलब है कि दरगाह कमेटी ने आज ही कोरोना पाबंदियों को हटाने की मांग की है और राज्य सरकार ने नई गाइडलाइन जारी कर नगरीय क्षेत्रों में वीकेंड कर्फ्यू तथा पूरे प्रदेश में रात्रिकालीन कर्फ्यू की घोषणा की है। यहां खास बात यह है कि दरगाह शरीफ में रजब माह का चांद दिखने के बाद उर्स की धार्मिक रस्में शुरू होगी जो कि अधिकांश रात में होती है।
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